तुम्हारे प्रधानमन्त्री में यह अदा है।
इसी अदा पर तुम्हारे यहाँ की सरकार टिकी है, जिस दिन यह अदा नहीं है या अदाकार नहीं है, उस दिन वर्तमान सरकार एकदम गिर जाएगी।
जब तक यह अदा है, तब तक तुम शोषण सहोगे, अत्याचार सहोगे, भ्रष्टाचार सहोगे -
क्योंकि तुम क्रोध से उबलोगे, तुम्हारा प्रधानमन्त्री एक अदा से तुम्हें
ठंडा कर देगा।
तुम जानकार आश्चर्य होगा कि तुम्हारे मुल्क की सारी व्यवस्था एक अदा पर
टिकी है। प्रधानमंत्री ने कहा - 'टैक्स दो'। और तुम देने लगे। प्रधानमंत्री
ने कहा - 'बजट ठीक है'। तुमने कहा - 'बिलकुल ठीक है'। उनने कहा - 'दूसरी
योजना के लिए त्याग करना पड़ेगा'। तो तुमने कहा - 'लँगोटी उतरवा लो।'
और अब तुम्हारे प्रधानमन्त्री ने कहा कि दो साल बाद तुम्हारी हालत सुधर जाएगी।
तुमने बात मान ली।
तुम अदा पर मरते हो।
- हरिशंकर परसाई का व्यंग्य , जून 1957 में प्रकाशित
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