अनुपम खेर और कपिल मिश्रा का भाषण जयपुर साहित्य त्यौहार पर
In his speech, Anupam Kher said the following
What is important is sense of responsibility. What am I doing?
आप घर में बोल सकते हैं ****** ? जो रूल आप घर में इस्तेमाल करते हैं वो देश पर करिए तो मानूँगा मैं आपको |
आप घर पे पिताजी को बोल सकते हैं - ऐ झापड़ मरूँगा ? बोल सकते हैं क्या ? नहीं बोल सकते | मगर यहाँ प्रधान मन्त्री को गाली दे सकते हैं - coward हैं | pyschopath हैं |
Kapil Misra came next and argued as follows
सबसे पहले तो अनुपम जी ने कहा अपने पापा के सामने ****** नहीं बोल सकते | मैंने कहा भाई साहब पापा को मैंने वोट दे के थोड़ी ना पापा बनाया हैं (Anupam Kher nods). पापा कोई manifesto लेकर थोड़ी आयें थे |
पापा ने ये थोड़ी कहा था की पड़ोस का गुंडा तेरे को एक थप्पड़ मारेगा तो मैं उसे दस थप्पड़ मरूँगा | उसके बाद पड़ोस के गुंडे के साथ चाशनी थोड़ी खा रहे हैं मेरे पापा | अगर खाते पड़ोस के घर में जाके केक तो अपने पापा को भी coward बोलता (Anupam Kher smiles)
अगर मेरे पापा कहते तेरी स्कूल की फीस बाद में दूँगा पहले मेरे साथ सेल्फी खिंचा ले | तो मैं कहता तुम pyschopath हो कोई problem हैं तुम में |
और एक बात कहना चाहता हूँ मैं, भैय्या मन की बात एक ही आदमी कर सकता हैं क्या इस देश में ? हम सब कर सकते हैं अपने मन की बात |
हमें छूट मिलनी चाहिए मन की बात करने की मैं अपने ट्वीटर पे क्या लिखूंगा - ये नेता थोड़ी बताएँगे | संसद में बैठ के कानून बना दिया - कानून होना चाहिए | कानून होना चाहिए | कानून होना चाहिए |
मैं आपको एक बात कहना चाहता हूँ | ये हिंदुस्तान ये भारत का देश इसकी धर्म और संस्कृति के ठेकेदार जो बने हुए हैं ना उनको कुछ नहीं पता हमारे धर्म के बारे में |
हमने तोह दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य को भी गुरु की उपाधि दी थी (हाथ जोड़ कर) | हमने कहा चारवाक जो हमारी संस्कृति हमारी फिलोसोफी के बिलकुल अगेंस्ट - consumerism और materialism की बात करते थे उनको भी हमने बोला महर्षि चारवाक हैं |
कबीर बनारस के घाट पे पंडों के बीच में, पुजारियों के बीच में खड़े होकर बोलते हैं
" पाथर पूजे हरी मिले तोह मैं पुजू पहाड़"
और उसके बाद भी कोई उन्हें कुछ नहीं बोलता
मुग़लों के राज में वह फ़क़ीर खड़ा होकर कहता हैं
काकर पाथर जोड़ के मस्जिद बनाये। ताचाडी मुल्ला बाँध दे क्या बेहरा हुआ खुदाय
उसके बाद भी कोई उन्हें यह नहीं कहता - कबीर को कोई यह नहीं कहता | तुम पाकिस्तान चले जाओ | नक्सलवादी हो | जंगली हो | पाकिस्तानी हो | कोई ये नहीं कहता |
हिन्दुस्तान के अंदर ये जो शुरुआत हैं नाह Freedom of Expression को रोकने की ये इंदिरा गाँधी ने शुरू की | उन्होंने कहा ये कलाकारों ने, आर्टिस्ट ने साहित्यकार ने रिपोर्टर ने मिलकर हमारी सत्ता पलट दी | तोह उन्होंने लॉबिंग शुरू कर दी | R.K. Dhawan जैसे लोग मोरारजी देसाई से बड़े लोग बन गए | वही हो रहा था Congress की इंदिरा में जो मोदी जी की भाजपा में आज दिखाई दे रहा हैं | लेकिन एक बात हैं अगर वोह लॉबिंग वो networking शुरू नहीं होता तो शायद आज सुहेल सेठ जैसे लोग मेरे साथ मंच पर नहीं बैठे होते |
मैं ये बात कहना चाहता हूँ | बड़े खुल के कहना चाहता हूँ | हिंदुस्तान का यंग पॉलिटिशियन हूँ - आम आदमी पार्टी हैं | मेरे नेता को तो तुम शाइ भी फ़ेंक दो, गाली भी दे दो पत्थर भी मार दो, कोई तुम्हारे घर पे पत्थर मारने नहीं जाता (अनुपम खेर हंस रहे हैं) कोई तुम्हारे घर पे पत्थर मारने नहीं जाता |
आप केजरीवाल को खुजलीवाल बोलो दिन में दस बार बोलो कुछ भी बोलो लेकिन जब में मोदी को फेंकू बोलूंगा जब मैं राहुल को पप्पू बोलूंगा तो मुझे उसकी छूट होगी | आप मोदी मोदी चिल्लाओ | यह छूट हैं इसके लिए आपको जेल में थोड़ी दाल देंगे | क्यों डालेंगे जेल में भाई पूरी छूट होनी चाहिये इस देश के अंदर ये हिंदुस्तान हैं (Crowd in the background chanting Modi Modi) मैं इतना ही कहना चाहता हूँ इस देश में मन की बात मोदी भी करेंगे मन की बात हम भी करेंगे जिसको रोकना हैं रोक ले |
Source: https://www.youtube.com/watch?v=FGof3mGoSvM
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